अद्य रचितम् मया
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एकोऽहं बहुस्यामि अहङ्काराणि पृथक् पृथक् ।
एकस्मिन् पृथक्भूत्वा तथापि न पृथक् पृथक् ।।
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एक जापानी कहानी -- बचपन में हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में पढ़ी थी। किसी गाँव में दो भाई अपने पिता के साथ रहते थे। वे गरीब लोग थे और मजदू...
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