Sunday 15 August 2021

एकोऽहं बहुस्यामि

अद्य रचितम् मया 

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एकोऽहं बहुस्यामि अहङ्काराणि पृथक् पृथक् ।

एकस्मिन् पृथक्भूत्वा तथापि न पृथक् पृथक् ।।

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