Friday, 22 August 2025

Salt Lake City.

एक जापानी कहानी

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बचपन में हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में पढ़ी थी। 

किसी गाँव में दो भाई अपने पिता के साथ रहते थे। वे गरीब लोग थे और मजदूरी आदि कर अपना पेट पालते थे। एक दिन अचानक पिता की मृत्यु हो गई। कुछ दिनों तक तो वे साथ रहे फिर बड़े भाई ने छोटे भाई को घर से निकाल दिया। छोटा भाई भूखा प्यासा जंगल में चला गया जहाँ एक नदी बहती थी। उसने नदी में पानी पिया और भूखा रोता हुआ बैठा रहा। उस जंगल की देवी जब  भ्रमण करते हुए वहाँ से गुजरी तो उसे उस पर दया आई और उससे पूछा कि तुम रो क्यों रहे हो? तब उसने कहा  "मुझे भूख लगी है।"

जंगल की देवी (शायद वही, जिसे प्रकृति भी कहा जाता है) ने उसे पत्थर की एक छोटी सी चक्की देकर कहा : इसे तीन बार दाँए घुमाकर जो भी चाहिए इससे माँग लो और जरूरत पूरी हो जाने पर एक बार बाँए घुमाकर रोक दो। छोटे भाई ने उससे अपनी जरूरत की वस्तुएँ प्राप्त कर लीं और सुख से रहने लगा।

बहुत दिनों बाद उसका बड़ा भाई वहाँ से गुजरा तो उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ। उसने देखा किस तरह उसका छोटा भाई चक्की से जो चाहे प्राप्त कर लेता है। उसने छोटे भाई से चक्की छीन ली और एक नाव में बैठकर वह गाँव छोड़कर जाने लगा। नाव में उसे भूख लगी तो पास रखा खाना खाने लगा। तब उसे नमक की जरूरत महसूस हुई तो उसने चक्की को तीन बार दाँए घुमाकर नमक मांगा लेकिन उसे यह नहीं पता था कि चक्की को बंद कैसे किया जाए। तब तक चक्की से इतनी तेजी से इतना अधिक नमक निकलने लगा कि वह नमक के ढेर के नीचे दबकर मर गया। नदी में डूबी नाव के साथ साथ बहता हुआ वह समुद्र में पहुँच गया। कहते हैं तब से उस चक्की से अब तक नमक निकल रहा है और इसीलिए समुद्र का पानी खारा होता जा रहा है।

जैसे समुद्र खारा होता जा रहा है वैसे ही तकनीक और  विज्ञान के विकास के साथ साथ धरती और दुनिया का वातावरण भी नमकीन और इतना खारा होता चला जा रहा है कि दुनिया में हर कोई त्रस्त और परेशान है।

दुनिया आज  Salt Lake City  होकर रह गयी है! 

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